एक अजीब सी कशमकश में यह जिंदगी चलती रहती है
रोज नई-नई बातें सुन लेती हूं रोज कुछ नया कह भी देती हूं
और जिंदगी में यूं ही चलती रहती हूं यह समझ नहीं पाती हूं कि मैं सही हूं और सामने वाला गलत है|
या सामने वाला गलत ,और मैं सही हूं
अभी थोड़े ही दिन पहले की बात है एक महिला से मेरी मुलाकात हुई वह बहुत अच्छी महिला थी शुरुआती तौर पर इतनी अच्छी कि मुझे उससे मिलना बात करना बहुत अच्छा लगता था फिर आगे आगे रिश्ता बढ़ता चला गया सुनते हैं
उर्मिला की कहानी
उर्मिला एक डरपोक किस्म की महिला है जो लोगों से कम घुलती मिलती है उसकी दुनिया उसका परिवार ही है उसके सगे संबंधी ही है उसके अलावा जैसे उसे दुनिया में किसी से मतलब ही नहीं है पर फिर अचानक उसकी मुलाकात उसकी एक नई पड़ोसन निशा से हुई ।
निशा की कहानी
निशा एक खुशमिजाज हमेशा हंसते रहने वाली महिला थी उसका एक डेढ़ साल का बच्चा था वह उससे काफी परेशान होती थी उसकी मंजिलें उसकी ख्वाहिश है कुछ और थी वह अपने आप को घर गृहस्ती में बंद होना स्वीकृति नहीं थी उसका यह मानना था कि अगर पति पैसा दे तो वह घर का काम करें वरना अगर हम घर का काम करेंगे तो सबको यह लगता है यह काम भी हमारा है और हमें ही करना पड़ेगा रोजाना तो उसने अपने घर में हर काम के लिए नौकर रखे हुए थे अपने आप वह सिर्फ खुद घूमती फिरती थी और अपने बच्चों को देखी थी|
वही उर्मिला जो थी वह अपने बच्चों को भी देखती थी अपना घर का काम भी सब कुछ खुद करती | तो निशा ने पता नहीं क्या सोचा या उर्मिला ने क्या सोचा यह कोई नहीं जानता उन दोनों की मुलाकात आपस में बढ़ती चली गई फिर होता है ना जब रोजमर्रा के रिश्ते निभाने लगते हैं तो कई दिकते भी आती हैं कई बातें हो जाती हैं सुख-दुख भी बताते हैं और हंसी मजाक भी होता है हंसी मजाक कभी किसी को पसंद आता है तो कभी किसी को जाता है ऐसा सब चलता ही रहता है
एक दिन बैठे-बैठे निशा अपने दिल की बात बताने लगी कहने लगी उसे तो कभी शादी करनी ही नहीं थी उसक पिताजी को हार्ट अटैक हुआ तो उसके पिताजी ने उस पर दबाव डाला और इस वजह से उसे शादी करनी पड़ी वह नौकरी करना चाहती थी अपना खुला जीवन आनंदित जीवन जीना चाहते थे और फिर कहने लगी कि हमने तो यही देखकर शादी करी थी कि पति अच्छा कमाता है और सब कुछ अच्छा है पर जब मैं शादी होकर उनके घर गई तो मुझे पता लगा है इनके भाई तथा बहन का डिवोर्स हो चुका है उनकी फैमिली तो ज्यादा अच्छी नहीं है मेरे पति मुझे सपोर्ट भी नहीं करते मैं तो नौकरी करना चाहती हूं मैं पीएचडी कर रही थी पर अपने मायके के पास था मेरा कॉलेज पर इन्होंने कहा या तो पीएचडी कर लो या फिर मेरे साथ ही रह लो तो मैं अपनी Ph.D छोड़ दी और मैं उनके साथ रहने यहां आ गई बस अब इतना है कि यह कहते हैं कि तुम अगर नौकरी करनी है तुम यहां मेरे पास रहकर नौकरी कर लो तो उर्मिला यह सब चुपचाप सुनती रही है वह कुछ बोलना भी चाहती थी पर निशा का कुछ स्वभाव ऐसा था कि वह ज्यादा कुछ सुनती नहीं थी|
उर्मिला निशा से कुछ ना कहती बस जो निशा कहती वह चुपचाप सुनती और फिर वहां से चल देती धीरे-धीरे उर्मिला को यह लगने लगा कि निशा जो भी अक्सर कहती है वह ज्यादा सच नहीं है वह झूठ कहती है एक दिन की बात अपने कार्य में व्यस्त थी उसने अपने बच्चों को chess की ट्यूशन के लिए लेकर जाना था तभी निशा दरवाजे पर आई और उर्मिला ने कहा तुम बैठ जाओ यहां| निशा से बात कर रही थी
निशा रही तेज दिमाग की तो कहती है आज तो इसकी छुट्टी नहीं थी
उर्मिला : नहीं वह अगले दिन छुट्टी दे रहे हैं इस वजह से आज ही उनकी क्लास लगा दी गई है|
तो फिर थोड़ी देर भी थी फिर से निशा ने वही बात उठाई यह जानने के लिए की उर्मिला सच बोल रही है या नहीं और ऐसे ही कई दिनों तक सिलसिला चलता रहा |
फिर एक दिन बाद आई एक बच्चे का बर्थडे पर जाना था तो निशा ने कहा कि अरे तुम जाओ तो हमारे लिए भी गिफ्ट ले आना तो उर्मिला थी कि अपना-अपना सब करें अपना देखें तो निशा को यह बात भी pinch ho गई और निशा ने फिर आओ दिखाना था अपने पति को फोन लगाया और फोन पर बात करने के लिए करने लग पड़ी और कहने लगी अरे तुमने कुछ गिफ्ट लिया अगर गिफ्ट लिया तो उसके पति ने कहा कि हां मैं ना chessboaed game ले ली है जो की ₹250 की आई है तो फिर वह आगे कहने लगी उर्मिला तुम्हें कुछ मंगवाना है तो मंगवा दूं मैं अपने पति से तो उर्मिला ne kaha नहीं मैं खुद ही अपने आप ले लूंगी जो भी मंगवाना होगा अब तक निशा अपनी स्वभाव से आक्रामक हो चुकी थी वह जानबूझकर उर्मिला का चेहरा देखते और उसे शर्मिंदा करने के लिए कहती अरे आप वह देती है ना कुछ किट बच्चों को वह तो वहां पर ₹450 की मिल रही है मंगवा लीजिए अगर आपने वह देनी हो उर्मिला ने बात ट|लते हुए का अरे नहीं रहने दीजिए | मैं कुछ और देख लेती हूं|
सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ निशा दिमाग से बहुत तेज थी वही उर्मिला इमोशंस में काम करते थे । निशा ने यह बात उर्मिला के बारे में परख ली थी उर्मिला हर बात को टाल देती थी वह कभी भी किसी का भी दिल नहीं दुखाना चाहती । वह पलट के कोई जवाब नहीं देती थी कोई प्रतिक्रिया नहीं करती थी वहीं निशा डोमिनेटिंग नेचर की थी और वह उर्मिला पर दबाव डालने दबाव बनाए रखना चाहती । उसे एक तरह से कंट्रोल करना चाहती थी उसे कुछ भी बात बताती तो उसकी शक्ल देखती परखती उर्मिला को ।
वही उर्मिला ऐसा कुछ नहीं करती वह निशा के बारे में सब कुछ जान रही थी कि यह उसके ऊपर दबाव डालना चाहिए पर उर्मिला फिर भी चुप और शांत रहती । पर एक दिन सब्र का bandh टूटा निशा ने उर्मिला को फोन लगाया और उसका फोन लगा नहीं तो इस पर निशा तिलमिला गई और उर्मिला के दरवाजे के बाहर आकर कहने लगी अरे भाई मैंने ऐसा क्या कर दिया है जो तुमने मुझे ब्लॉक कर दिया है उर्मिला साफ दिल की रहती है मेरे फोन की मेमोरी भर गई थी मेरा व्हाट्सएप मेरे बच्चों ने डिलीट कर दिया था इसलिए शायद आपका फोन नहीं लगा होगा |
जानबूझकर फिर निशा उर्मिला को परखने के लिए अगली सुबह फोन किया कि आप मेरे घर आइएगा मुझे कुछ काम है आप मेरे घर आइएगा और मेरे बच्चे को थोड़ी देर के लिए पकड़ लीजिएगा तो उर्मिला ने कहा ठीक है कि अगर मेरे को time मिलेगा मैं उसे पकड़ लूंगी सुबह उर्मिला थोड़ा जल्दी में थी शाम को वह तसल्ली से निशा से बात करने गई तब निशा ने फिर से वही अपना व्यवहार कर कहती है नहीं नहीं आपने मेरा नंबर ब्लॉक ही कर| हुआ था अब उर्मिला को यह बात बिल्कुल नहीं भाई उर्मिला ने सोचा कि जब निशा को उसे पर भरोसा ही नहीं है तो ऐसी दोस्ती और रिश्ता रखकर क्या फायदा उस दिन के बाद से उर्मिला ने निशा से दूरियां बनानी शुरू कर दी और वह उससे दूर रहे
सारांश conclusion:
यह जो कहानी उर्मिला की मैंने आपको सुनाई है शायद आप अपने आसपास में ऐसा व्यक्तित्व देखते होंगे जो चुप रहना पसंद करते हैं पर यकीन मानिए अगर आपके आसपास कोई आपका सगा संबंधी चुप रहता है उसे बोलना सिखाए आज जो दुनिया है वह एक दूसरे का फायदा उठाने के तौर पर है या एक म्युचुअल अंडरस्टैंडिंग से चलते हैं चुप रहना किसी भी समस्या का हाल है ही नहीं|
शांति प्रियता बहुत कम लोगों को पसंद है अगर तो आप देखें कि सामने वाला शांतिप्रिय तो उसके साथ शांति प्रिय बने रहे नहीं तो उनकी हर एक बात का सही जवाब दे जो उचित हो धन्यवाद
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धन्यवाद |